एनकाउंटर नंबर 231- पोल्ट्री शेड अच्छा बनाया परन्तु सस्ता के चक्कर में दो गलतियों के कारण समस्याएं क्यों खरीद ली ?

शब्बीर अहमद खान

पोल्ट्री कंसलटेंट, गुडगाँव

इस विषय पर कई बार लिखा जा चूका है परन्तु असर शुन्य है। शायद किसानो ने संकल्प ले लिया है कि लेखक या वक्ता पागल है। इसकी सुनना या समझाना बेकार है। कोई बात नहीं हम सब लिखते और बताते रहेंगे आप मने या ना माने।

आपके सामने किसी भाग्यशाली का नया शेड इस ब्रायलर उद्योग के कठिन समय में बन रहा है। उनसे क्षमा चाहते हुए उन्ही के द्वारा व्हाट्सप्प पर शेयर किये चित्रों को लेकर कुछ सार्थक तथ्य आपके सामने रख रहा हूँ। इसमें कोई शक नहीं उन्होंने शेड काफी अच्छा बांया है। शेड बनाने में बहुत सी बातों पर ध्यान देना होता है। सबका विवरण करना यहाँ मुमकिन नहीं परन्तु दो बिन्दुंओं पर यहाँ प्रकाश एवं चर्चा करना अत्यंत आवश्यक है। यह वह बिंदु है जिन पर ध्यान ना देना, आपके फ्लॉक के लिए सदैव घातक होगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष बीमारियां समय-समय पर हुम्ला करती रहेंगी। इसका जीवन भर साथ लगा रहेगा। जो कुछ शेड के बनाने में अपने लगाया है उससे कई गुना ज्यादह आप दवाइयों पर खर्च करेंगे एवं जो ‘टोटल’ वजन का निकसान है वह अलग।

सबसे पहली गलती हमारे शेड के फर्श कि ऊंचाई बाहरी जमीन से कितनी ऊँची है – अधिकांश या तो बराबर होती है या 4-6 इंच ऊँची होती है। सिद्धांत कहता है कि जो आपके फार्म के सामने सरकारी सड़क है उसके बराबर ऊंचाई पर शेड के फर्श की ऊंचाई रखें। सदर की ऊंचाई निर्धारित करने में PWD सालों का बारिश का रिकॉर्ड देख कर करती है। उसी को हमे भी बेस मान लेना चाहिए।  बेहतर होगा कम से कम दो-ढाई फुट भरत करके फर्श की ऊंचाई रखनी चाहिए। समझदार किसान 6-8 इंच भरत के काली मोटी प्लास्टिक शीट बिछाकर उस पर बाकी भरत कर फर्श दो-ढाई फुट ऊँचा कर लेते हैं। फर्श भी पक्का होना चाहिए।

इस प्रकार भरत के समय फर्श क्यों ऊँचा करना है? इस बात को जब आप समझ लेंगे तो निश्चित रूप से आपको पछतावा होगा। ध्यान रहे यह फार्म धान के खेत में बन रहा जहाँ अधिकाँश समय पानी भरा रहता है। इसके बाद कोई और फसल लगाई जाएगी। जिसमे कई बार पानी लगाया जायेगा। बारिश के समय यदि चरों और पानी पानी हो गया तो यह शेड के अंदर भी जा सकता है जिससे काफी नुक्सान होने कि सम्भावना है। चलिए आपकी किस्मत ने साथ दिया और बारिश का पानी अंदर नहीं घुसता सीपेज से निश्चित रूप से जायेगा और बुरादे (लीटर) में नमी कि मात्रा प्रतिदिन बढ़ती जाएगी। बारिश हो या न हो खेती तो हो ही रही है। उसमे पानी चल रहा है। यह भी सीपेज से अंदर जायेगा। सीपेज हमे आपको दीखता नहीं। शेड के अंदर गर्मी है बहार के जमीन के अंदर की नमी उस और को बढ़ेगी और वहां वाष्पीकृत हो कर ऊपर उठेगी जिसे लीटर ग्रहण करेगा जिसके कारण उसमे नमी बहुत बढ़ जाएगी। यह प्रतिक्रिया निरंतर मौसम के हिसाब से,खेतों में पानी लगने के हिसाब से घटती बढ़ती रहेगी। गर्मी में काम होगी, बरसात में बहुत अधिक और जाड़ों में बरसात से काम।

बहर हाल जो भी नमी होगी जहाँ रेकिंग प्रतिदिन के बावजूद भी लीटर नहीं सूखता है वह इसमें बहुत सी बिमारियों का कारण बनेगा। इस नमी के कारण लूज़ मोशन (पतली बीट) का होना आम बात है। काक्सी की आउट ब्रेक होना संभावित है। आँतों में विभिन्न प्रकार कि समस्या उत्पन्न हो सकती है। इन सबके अलावा इ कोलाई एवं CRD का प्रकोप होने कि पूरी सम्भावना है।_____ का उत्पादन बढ़ जायेगा। सबसे बड़ी बात ‘इम्युनिटी’ जिसका अपने टीका लगा रखा है उसके टूटने की पूरी सम्भावना है। अधिकाँश टूटती है। ऐसी अवस्था में यदि फील्ड वायरस आ गया तो आग लग जाएगी- भयंकर ______ होगी। क्या कुछ रूपए बचने के लिए हमे रिस्क लेना चाहिए? निश्चित रूप से कदापि नहीं। यह एक जुआ है जिसके खेलने में निश्चित हार है -नुक्सान ही नुक्सान है। अतः हम जुआ क्यों खेलें।

हरियाणा, पंजाब,राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, वेस्ट बंगाल आदि जगह पर काफी आना जाना लगा रहता था। शेड में साड़ी पूँजी लगा दी लूटने लुटाने के लिए। यहाँ साड़ी पोल्ट्री का बढ़ावा “नकल” पर आधारित है। यदि पहला शेड गलत बनाया गया तो उसको देख कर बनाने वाले का भी गलत ही बनेगा यही हर जगह हुआ। बरसात का समय था एक फीड जिसके सबसे ज्यादा फीड वहां बिकती थी। एका एक हर जगह से शिकायत आने लगी। कारण जो भी हो सबसे पहले हम फीड को दोष देते हैं। यहाँ भी यही हुआ। जमुना नगर जाना हुआ। दिन भर कई फार्म विजिट किये। वहां पिछले 7-8 दिन से लगातार बारिश हो रही थी। चारों और पानी ही पानी था – चारों और धान के लहलहाते खेत थे। कहीं कहीं तो उसकी बहुत अछि खुशबू आ रही थी। इन्ही खेतों के बीच बीच में पोल्ट्री शेड थे। कुछ एक मंजिल के थे और कुछ डबल स्टोरी के। लगभग सभी जगह लीटर की हालत खराब थी। कुछ जगह जहाँ लीटर साफ़ (नया) था वहां के ब्रॉइयलर काले हो रहे थे। साफ़ था यहाँ शेड यहाँषेड के अंदर पानी घुस गया था – वहां किसान ने सारा कीचड निकाल कर नयी धान की भूसी डाल दी थी। परन्तु ब्रायलर को धो नहीं पाया था कि ______ हो जाये – (ऐसा करियेगा मत) साड़ी समस्या ERD + E COLI या आंतों से सम्बंधित थी। विशेषज्ञों ने ध्यान दिया होता कि जहाँ दूसरी मंजिल में ब्रायलर थे वह ठीक क्यों है तो किसी ब्रायलर डीजीज का नाम नहीं लिया होता एवं फीड को दोष नहीं दिया होता। क्योंकि ऊपर के बचे भी वहीँ दाना खा रहे थे और वह सब ठीक थे।

दूसरी बड़ी गलती हमारे वेंटीलेशन की अधिक होती है। जब भी आप 20 फुट से अधिक चौड़ा शेड बनाये तो उसमे शेड के बीचों बीच जो सबसे ऊँची जगह है वहां एक सिरे से दूसरी सिरे तक रिज वेंटीलेशन बना दें। यह आसानी से एक चादर से दूसरी चादर ओवरलैप कर बनाया जा सकता है। दूसरा तरीका है 7-8 फुट पर चिमनी लगाने का एवं तीसरा तरीका मनकी टाइप वेंटीलेटर का जो ______  चादर वाले बनाते है जो चादर पर बिलकुल फिट बैठता है। ऐसा करने से शेड में वेंटीलेशन बहुत अच्छा हो जाता है। हवा का आवागमन बढ़ जाता है। ऐसी हालत में अमोनिया एवं कार्बन डाइऑक्साइड गैस शेड में भिन्न स्तर पर रहती है। साथ ही लीटर मैनेजमेंट या उसकी हालत बहुत अच्छी रहती है जिसकी सेहतमंद बढ़ोतरी के लिए ब्रायलर को बहुत आवश्यकता होती है। ध्यान रहे आने वाले दिनों में जिस प्रकार की तेज़ रफ़्तार बढ़नी ब्रायलर ब्रीड आपको मिलेगी उसमे वेंटीलेशन पर आपको अधिक ध्यान देना होगा। आज के ब्रायलर में ही आप देख ले वेंटीलेशन में कमी के कारण ऐसीइटिस (पेट में पानी) की समस्या कैसे भड़कती है। इसके अलावा वायरल डीजीज की सम्भावना भी बढ़ जाती है।

सबसे अचे ब्रायलर शेड 20 फुट चौड़े हैं परन्तु 30 फुट से अधिक चौड़े पर कभी विचार भी ना करें। हाँ यदि कण्ट्रोल हाउस बनाया है तो चौड़ाई बढ़ा सकते हैं। लम्बाई आप जितनी चाहें रखें अपने स्वयं के मैनेजमेंट क्षमता के अनुसार शेडों को ‘पेन’ भी बाँट दे जिसमे 1000-2000 ब्रायलर आ सकें लकिन एक ही उम्र के हो एवं एक ही हैचरी के हों।
जिन किसान भाइयों ने जमीन को ही फर्श नाना रखा है – कोई भरत नहीं की है ऊके लिए सुझाव किसी अगले एनकाउंटर में।